Wednesday, January 9, 2019

GST Council की बैठक जारी, आपको मिल सकता है सस्‍ते मकान का तोहफा

वित्‍त मंत्री अरुण जेटली की अगुवाई में गुड्स एंड सर्विसेज टैक्‍स  (GST) काउंसिल की 32वीं बैठक जारी है. नई दिल्‍ली में हो रही इस बैठक में अंडर कंस्‍ट्रक्‍शन मकानों पर बड़ा फैसला हो सकता है. इसके अलावा सर्विस सेक्टर, एमएसएमई को बड़ी राहत मिल सकती है.

दरअसल, बीते दिनों वित्‍त मंत्री अरुण जेटली ने अंडर कंस्‍ट्रक्‍शन फ्लैट-मकानों पर GST दर घटाने के संकेत दिए थे. अभी ये मकान 12 फीसदी के टैक्‍स स्‍लैब में आते हैं लेकिन काउंसिल मीटिंग में इसे 5 फीसदी करने पर विचार हो सकता है.  अगर ऐसा होता है तो निर्माणाधीन मकान सस्‍ते हो जाएंगे.  इसके अलावा सीमेंट को 28 फीसदी के स्‍लैब से बाहर किया जा सकता है. इसके साथ ही लघु और मध्यम उद्योगों के लिए कारोबार छूट की सीमा को भी बढ़ाने पर विचार विमर्श हो सकता है.

पीएम मोदी ने भी दिए थे संकेत

इससे पहले बुधवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा था कि उन्होंने जीएसटी  काउंसिल से 75 लाख रुपये सालाना तक का कारोबार करने वाले उद्यमों को जीएसटी रजिस्‍ट्रेशन से छूट देने का आग्रह किया है. इसके अलावा मध्यम वर्ग के लिए बनने वाले घरों को जीएसटी के 5 प्रतिशत के दायरे में लाने का आग्रह किया गया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि इस बारे में फैसला करने का अधिकार उनके हाथ में नहीं है बल्कि जीएसटी काउंसिल के हाथ में है. सभी राज्य सरकारें इस परिषद की सदस्य है. उन सबको मिलकर इस बारे में निर्णय करना है. बता  दें कि जीएसटी काउंसिल की पिछली बैठक 22 दिसंबर को हुई थी. इस बैठक में 26 वस्तुओं व सेवाओं पर टैक्‍स की दर कम कर दी गई थी. उन्होंने उम्मीद जतायी कि आने वाले दिनों में जीएसटी काउंसिल जनता के पक्ष में इस बात का ध्यान रखेगी.

रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट में गुरुवार सुबह सुनवाई के दौरान मुस्लिम पक्ष के वकील राजीव धवन ने बेंच में जस्ट‍िस उदय उमेश ललित के शामिल होने पर सवाल उठाए. इस पर जस्ट‍िस यूयू ललित ने संविधान बेंच से खुद को अलग कर लिया. अब इसके लिए नई बेंच बनेगी.

पांच जजों की पीठ ने गुरुवार को कहा कि वह आज मामले की सुनवाई नहीं करेगी बल्कि सिर्फ इसकी टाइमलाइन तय करेगी. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि आज हम इस मसले पर सुनवाई नहीं करेंगे, बल्कि इसकी समय सीमा तय करेंगे. इस मामले की सुनवाई अब 29 जनवरी से होना तय किया गया है.

राजीव धवन ने कहा कि वह कोर्ट को यह बताना चाहते हैं कि इस मसले के शुरुआती दौर में 1994 में जस्ट‍िस यूयू ललित अदालत की अवमानना के एक मामले में कल्याण सिंह की तरफ से पेश हुए थे. राजीव धवन ने कहा कि जस्ट‍िस ललित अयोध्या विवाद से जुड़े क्रिमिनल केस में कल्याण सिंह के वकील के रूप में पेश हुए थे.

उन्होंने कहा, 'मैं लॉर्डशिप के सामने बस यह बात लाना चाहता हूं. हमें इस मसले की सुनवाई में कोई आपत्ति नहीं है. अब यह पूरी तरह से आपके ऊपर निर्भर है. मुझे खेद है कि और मैं ऐसा मसला उठाना नहीं चाहता था.'

इस पर सीजेआई ने कहा कि इसमें खेद जताने की क्या बात है, आपने तो बस तथ्य बताया है. हालांकि, यूपी सरकार के वकील हरीश साल्वे ने कहा कि जस्टिस यूयू ललित के पीठ में शामिल होने से उन्हें कोई दिक्कत नहीं है. लेकिन इस तरह का मामला उठाने के बाद जस्टिस यूयू ललित ने खुद को इस मसले से अलग कर लिया है. चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने इस बारे में जानकारी दी.

राजीव धवन ने इसके अलावा संविधान पीठ पर भी सवाल उठा दिया, उन्होंने कहा कि ये मामला पहले 3 जजों की पीठ के पास था लेकिन अचानक 5 जजों की पीठ के सामने मामला गया जिसको लेकर कोई न्यायिक आदेश जारी नहीं किया गया. हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान पीठ का गठन करना चीफ जस्टिस का अधिकार है.

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